हज़ार सदियों के सफ़र के बावजूद
बिंत-ए-हव्वा का ये सफ़र तो
अज़ल से अब तक
तुम्हारी ख़्वाब-गाह और
दालान के दरमियान
क़ैद कर दिया गया है
न जाने कितने क़दम हैं
जो तुम्हारे बिस्तर में
हुनूत हो कर पड़े हुए हैं
कितनी मंज़िलें हैं
जो तुम्हारे बिस्तर पर
बावर्ची-ख़ाने के दरमियान दफ़्न हो चुकी हैं