Ghazals of Sarwat Zehra
नाम | सरवत ज़ेहरा |
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अंग्रेज़ी नाम | Sarwat Zehra |
जन्म की तारीख | 1972 |
जन्म स्थान | UAE |
वक़्त भी अब मिरा मरहम नहीं होने पाता
तुम्हारी मुंतज़िर यूँ तो हज़ारों घर बनाती हूँ
सवाल-अंदर-सवाल ले कर कहाँ चले हो
सवाब की दुआओं ने गुनाह कर दिया मुझे
फिर आस दे के आज को कल कर दिया गया
निगाह-ए-ख़ाक! ज़रा पैराहन बदलना तो
ख़ाली ख़ाली रस्तों पे बे-कराँ उदासी है
जब आह भी चुप हो तो ये सहराई करे क्या
हज़ार टूटे हुए ज़ावियों में बैठी हूँ
हर एक ख़्वाब सो गया ख़याल जागते रहे
बे-तहाशा उसे सोचा जाए