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बातों से सितमगर मुझे बहलाता रहा वो - सरवर मजाज़ कविता - Darsaal

बातों से सितमगर मुझे बहलाता रहा वो

बातों से सितमगर मुझे बहलाता रहा वो

मिलने में तो हर बार ही अपनों सा लगा वो

क्या क्या मिरी ख़्वाहिश के मज़ाक़ उस ने उड़ाए

क्या क्या नहीं देता रहा जीने की सज़ा वो

जब भी कभी उस ने मुझे मक़्तल में सजाया

मुझ को तो बस अपना ही तरफ़-दार लगा वो

जिस ने भी मिरा साथ दिया राह-ए-वफ़ा में

इक शख़्स की दहशत से मुझे छोड़ गया वो

ऐसा कभी देखा न सुना जौर का ख़ूगर

हर बार जफ़ा कर के भी होता था ख़फ़ा वो

करता था मुरव्वत में कभी मश्क़-ए-सितम भी

कहता था मिरे ख़ूँ को कभी रंग-ए-हिना वो

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In Hindi By Famous Poet Sarwar Majaz. is written by Sarwar Majaz. Complete Poem in Hindi by Sarwar Majaz. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.