तलख़ीस के बदन में तफ़्सीर बोलती है

तलख़ीस के बदन में तफ़्सीर बोलती है

तकमील-ए-आरज़ू में तदबीर बोलती है

ये मो'जिज़ा भी देखा हम ने कमाल-ए-फ़न का

चुप हो अगर मुसव्विर तस्वीर बोलती है

तज़ईन-ए-अंजुमन के हम ने जो ख़्वाब देखे

अब किर्चियों में उन की ता'बीर बोलती है

वो लब-कुशा हो जिस दम लगता है हर किसी को

हर लफ़्ज़ में उसी की तक़दीर बोलती है

बनता है मुफ़लिसों का वो ग़म-गुसार लेकिन

अंदाज़-ए-गुफ़्तुगू में जागीर बोलती है

जज़्बों पे लाख कोई पाबंदियाँ लगा दे

इज़हार में उन्ही की तासीर बोलती है

ख़ामोश हैं क़फ़स के दीवार-ओ-दर तो क्या है

टकरा के हर क़दम से ज़ंजीर बोलती है

जब आगही का अज़दर डसता है आदमी को

मफ़्हूम नाचते हैं तहरीर बोलती है

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In Hindi By Famous Poet Sarwar Arman. is written by Sarwar Arman. Complete Poem in Hindi by Sarwar Arman. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.