रौशनी से तीरगी ताबीर कर दी जाएगी
रौशनी से तीरगी ताबीर कर दी जाएगी
रंग से महरूम हर तस्वीर कर दी जाएगी
अद्ल के मेआ'र में आ जाएँगी तब्दीलियाँ
बे-गुनाही लाएक़-ए-ताज़ीर कर दी जाएगी
हर नज़र को आरज़ूओं का समुंदर बख़्श कर
हर ज़बाँ पर तिश्नगी तहरीर कर दी जाएगी
दब के रह जाएँगे जज़्बों के उजाले एक दिन
ज़ुल्मत-ए-इफ़लास आलमगीर कर दी जाएगी
हर कलाई हर तमन्ना हर हक़ीक़त हर वफ़ा
आश्ना-ए-हल्क़ा-ए-ज़ंजीर कर दी जाएगी
बाँझ हो कर रह गया जिस वक़्त धरती का बदन
तब हमारे नाम ये जागीर कर दी जाएगी
दफ़्न कर के इस की बुनियादों में इंसानों के सर
इक मोहज़्ज़ब शहर की ता'मीर कर दी जाएगी
(866) Peoples Rate This