Ghazals of Sarwar Arman
नाम | सरवर अरमान |
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अंग्रेज़ी नाम | Sarwar Arman |
जन्म की तारीख | 1953 |
जन्म स्थान | Lahore |
ज़मानों से दर-ए-इम्कान पर रक्खे हुए हैं
तलख़ीस के बदन में तफ़्सीर बोलती है
शब-ए-तारीक चुप थी दर-ओ-दीवार चुप थे
सर-कशी को जब हम ने हम-रिकाब रखना है
सहर-ओ-शाम में तंज़ीम कहाँ होती है
रौशनी से तीरगी ताबीर कर दी जाएगी
क़ुर्बतें न बन पाए फ़ासले सिमट कर भी
इन आँखों में कई सपने कई अरमान थे लेकिन
हम तो मौजूद थे रातों में उजालों की तरह
इक अजब कैफ़ियत-ए-होश-रुबा तारी थी