शौक़ है तुझ को ज़माने में तिरा नाम रहे
और मुझे डर है मोहब्बत मिरी बद-नाम न हो
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Rahat Indori
Anwar Masood
Habib Jalib
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Gulzar
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(546) Peoples Rate This
बयान क़िस्सा-ए-बेचारगी किया जाए
वाक़िफ़ थे कहाँ हम दिल-ए-ना-चार से पहले
देख ये जज़्ब-ए-मोहब्बत का करिश्मा तो नहीं
क्या तमाशा देखिए तहसील-ए-ला-हासिल में है
बे-कैफ़ जवानी है बे-दर्द ज़माना है
सुब्ह को चैन न हो शाम को आराम न हो
वक़्त के हाथों हिकायात-ए-अना भूल गए
ढूँडते ढूँडते ख़ुद को मैं कहाँ जा निकला
कम-अयारी ने ख़ुदा-सोज़ बनाया ऐसा
आग़ाज़-ए-मोहब्बत से अंजाम-ए-मोहब्बत तक
तू ने कब इश्क़ में अच्छा बुरा सोचा 'सरवर'