देख ये जज़्ब-ए-मोहब्बत का करिश्मा तो नहीं
कल जो तेरे दिल में था वो आज मेरे दिल में है
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तू ने कब इश्क़ में अच्छा बुरा सोचा 'सरवर'
वक़्त के हाथों हिकायात-ए-अना भूल गए
सुब्ह को चैन न हो शाम को आराम न हो
आशिक़ी की ख़ैर हो 'सरवर' कि अब इस शहर में
जिस क़दर शिकवे थे सब हर्फ़-ए-दुआ होने लगे
बे-कैफ़ जवानी है बे-दर्द ज़माना है
आरज़ू हसरत और उम्मीद शिकायत आँसू
कम-अयारी ने ख़ुदा-सोज़ बनाया ऐसा
शौक़ है तुझ को ज़माने में तिरा नाम रहे
क्या तमाशा देखिए तहसील-ए-ला-हासिल में है
बयान क़िस्सा-ए-बेचारगी किया जाए