बयान क़िस्सा-ए-बेचारगी किया जाए
जो दिल की रह गई दिल में उसे कहा जाए
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Rahat Indori
Jaun Eliya
Gulzar
Habib Jalib
Parveen Shakir
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शौक़ है तुझ को ज़माने में तिरा नाम रहे
बे-कैफ़ जवानी है बे-दर्द ज़माना है
वक़्त के हाथों हिकायात-ए-अना भूल गए
ढूँडते ढूँडते ख़ुद को मैं कहाँ जा निकला
आशिक़ी की ख़ैर हो 'सरवर' कि अब इस शहर में
जिस क़दर शिकवे थे सब हर्फ़-ए-दुआ होने लगे
कम-अयारी ने ख़ुदा-सोज़ बनाया ऐसा
वाक़िफ़ थे कहाँ हम दिल-ए-ना-चार से पहले
आरज़ू हसरत और उम्मीद शिकायत आँसू
देख ये जज़्ब-ए-मोहब्बत का करिश्मा तो नहीं
क्या तमाशा देखिए तहसील-ए-ला-हासिल में है