उम्र का कोह-ए-गिराँ और शब-ओ-रोज़ मिरे
ये वो पत्थर है जो कटता नहीं आसानी से
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Gulzar
Rahat Indori
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(648) Peoples Rate This
क़िन्दील-ए-मह-ओ-मेहर का अफ़्लाक पे होना
बहता हुआ पानी
अच्छा सा कोई सपना देखो और मुझे देखो
ये जो फूट बहा है दरिया फिर नहीं होगा
दिन और झाग
मिरे सीने में दिल है या कोई शहज़ादा-ए-ख़ुद-सर
किताब-ए-सब्ज़ ओ दर-ए-दास्तान बंद किए
मौत के दरिंदे में इक कशिश तो है 'सरवत'
जंगल में कभी जो घर बनाऊँ
आए हैं रंग बहाली पर
महरान, मुझे दो