मौत के दरिंदे में इक कशिश तो है 'सरवत'
लोग कुछ भी कहते हों ख़ुद-कुशी के बारे में
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Wasi Shah
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Javed Akhtar
Habib Jalib
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उम्र का कोह-ए-गिराँ और शब-ओ-रोज़ मिरे
पेपर-वेट
मिलना और बिछड़ जाना किसी रस्ते पर
दिन और झाग
घर से निकला तो मुलाक़ात हुई पानी से
भर जाएँगे जब ज़ख़्म तो आऊँगा दोबारा
दरख़्त मेरे दोस्त
गर्दिश-ए-सय्यारगाँ ख़ूब है अपनी जगह
दुश्वार दिन के किनारे
दश्त ले जाए कि घर ले जाए
क़िन्दील-ए-मह-ओ-मेहर का अफ़्लाक पे होना