जिसे अंजाम तुम समझती हो
इब्तिदा है किसी कहानी की
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इतने बहुत से रंग
शादमानी का फ़रिश्ता
सुब्ह होते ही
'सरवत' तुम अपने लोगों से यूँ मिलते हो
क़सम इस आग और पानी की
पत्थरों में आइना मौजूद है
सितारे का गुमान
सुब्ह के शहर में इक शोर है शादाबी का
विसाल
अपने लिए तज्वीज़ की शमशीर-ए-बरहना
आश्नाई का फ़रिश्ता
पूरे चाँद की सज धज है शहज़ादों वाली