दो ही चीज़ें इस धरती में देखने वाली हैं
मिट्टी की सुंदरता देखो और मुझे देखो
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Gulzar
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(632) Peoples Rate This
अपने लिए तज्वीज़ की शमशीर-ए-बरहना
फिर वो बरसात ध्यान में आई
रात ढलने के ब'अद क्या होगा
पानी का हाथ
क़सम इस आग और पानी की
लहर-लहर आवारगियों के साथ रहा
क़िन्दील-ए-मह-ओ-मेहर का अफ़्लाक पे होना
नज़्म
बहुत मुसिर थे ख़ुदायान-ए-साबित-ओ-सय्यार
जब शाम हुई मैं ने क़दम घर से निकाला
अच्छा सा कोई सपना देखो और मुझे देखो