निस्यान के फ़रिश्ते
वो याद महव कर दे
दिल की तह में जो मेरे
काँटा बनी हुई है
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हवा ओ अब्र को आसूदा-ए-मफ़्हूम कर देखूँ
सितारे का गुमान
एक पुल बनाया जा रहा है
बुझी रूह की प्यास लेकिन सख़ी
आँखों में दमक उट्ठी है तस्वीर-ए-दर-ओ-बाम
क़िन्दील-ए-मह-ओ-मेहर का अफ़्लाक पे होना
मैं जो गुज़रा सलाम करने लगा
मैं तुम्हें याद कर रहा था
अच्छा सा कोई सपना देखो और मुझे देखो
तेरी आशुफ़्ता-मिज़ाजी ऐ दिल
पूरे चाँद की सज धज है शहज़ादों वाली
'सरवत' तुम अपने लोगों से यूँ मिलते हो