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इतने बहुत से रंग - सरवत हुसैन कविता - Darsaal

इतने बहुत से रंग

सलाख़ों से उधर

कुछ दरख़्त, एक सड़क, कुत्ते की ज़ंजीर थामे एक आदमी

और एक डोर जिस पर रंग-बिरंगे कपड़े सूख रहे हैं

जिस्मों के बग़ैर ये कपड़े, बच्चों के बग़ैर ये मैदान

मोहब्बत के बग़ैर ये रास्ते

दुनिया कितनी छोटी नज़र आती है

रंग-बिरंगे कपड़े सूख जाने पर

एक औरत आएगी

तब एक एक कर के ये क़मीज़ें, पतलूनें और फ़राकें

अपने अपने जिस्म हासिल कर लेंगे

तब मैदान बच्चों से

और बच्चे ख़ुशी से भर जाएँगे

ये छोटी सी काएनात रंगों से भर जाएगी

इतने बहुत से रंग

ऐ औरत, इतने बहुत से रंग!

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In Hindi By Famous Poet Sarvat Husain. is written by Sarvat Husain. Complete Poem in Hindi by Sarvat Husain. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.