धूप
और
दूरियों के दरमियाँ
एक आवाज़ सुनाई देती है
जैसे मछली
सियाह जाल से बे-ख़बर
सुनहरी परों से
.....पानी काटती है
Allama Iqbal
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Habib Jalib
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दस से ऊपर
जिसे अंजाम तुम समझती हो
इक रोज़ मैं भी बाग़-ए-अदन को निकल गया
पानी का हाथ
मौत के दरिंदे में इक कशिश तो है 'सरवत'
मैं किताब-ए-ख़ाक खोलूँ तो खुले
महरान, मुझे दो
हवा ओ अब्र को आसूदा-ए-मफ़्हूम कर देखूँ
नज़्म
गर्दिश-ए-सय्यारगाँ ख़ूब है अपनी जगह
लहर-लहर आवारगियों के साथ रहा
उसी किनारा-ए-हैरत-सरा को जाता हूँ