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थामी हुई है काहकशाँ अपने हाथ से - सरवत हुसैन कविता - Darsaal

थामी हुई है काहकशाँ अपने हाथ से

थामी हुई है काहकशाँ अपने हाथ से

तामीर कर रहा हूँ मकाँ अपने हाथ से

आया हूँ वो ज़मीन ओ शजर ढूँडता हुआ

खींची थी इक लकीर जहाँ अपने हाथ से

हुस्न-ए-बहार मुझ को मुकम्मल नहीं लगा

मैं ने तराश ली है ख़िज़ाँ अपने हाथ से

आईने का हुज़ूर समुंदर लगा मुझे

काटा है मैं ने सैल-ए-गिराँ अपने हाथ से

'सरवत' हदफ़ बहुत हैं जवानान-ए-शहर में

रक्खो अभी न तीर ओ कमाँ अपने हाथ से

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In Hindi By Famous Poet Sarvat Husain. is written by Sarvat Husain. Complete Poem in Hindi by Sarvat Husain. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.