पूरे चाँद की सज धज है शहज़ादों वाली
कैसी अजीब घड़ी है नेक इरादों वाली
नई नई सी आग है या फिर कौन है वो
पीले फूलों गहरे सुर्ख़ लिबादों वाली
भरी रहें ये गलियाँ फूल परिंदों से
सजी रहे तारों से ताक़ मुरादों वाली
आँखें हैं और धूल भरा सन्नाटा है
गुज़र गई है अजब सवारी यादों वाली