Coupletss of Sarvat Husain (page 1)

Coupletss of Sarvat Husain (page 1)
नामसरवत हुसैन
अंग्रेज़ी नामSarvat Husain
जन्म की तारीख1949
मौत की तिथि1996
जन्म स्थानKarachi

ये कौन उतरा पए-गश्त अपनी मसनद से

ये जो रौशनी है कलाम में कि बरस रही है तमाम में

ये इंतिहा-ए-मसर्रत का शहर है 'सरवत'

उम्र का कोह-ए-गिराँ और शब-ओ-रोज़ मिरे

तेरी आशुफ़्ता-मिज़ाजी ऐ दिल

सूरमा जिस के किनारों से पलट आते हैं

सुब्ह के शहर में इक शोर है शादाबी का

सोचता हूँ कि उस से बच निकलूँ

सोचता हूँ दयार-ए-बे-परवा

सियाही फेरती जाती हैं रातें बहर ओ बर पे

शहज़ादी तुझे कौन बताए तेरे चराग़-कदे तक

'सरवत' तुम अपने लोगों से यूँ मिलते हो

क़िन्दील-ए-मह-ओ-मेहर का अफ़्लाक पे होना

पाँव साकित हो गए 'सरवत' किसी को देख कर

नई नई सी आग है या फिर कौन है वो

मिलना और बिछड़ जाना किसी रस्ते पर

मिरे सीने में दिल है या कोई शहज़ादा-ए-ख़ुद-सर

मौत के दरिंदे में इक कशिश तो है 'सरवत'

मैं सो रहा था और मिरी ख़्वाब-गाह में

मैं किताब-ए-ख़ाक खोलूँ तो खुले

मैं आग देखता था आग से जुदा कर के

ले आएगा इक रोज़ गुल ओ बर्ग भी 'सरवत'

ख़ुश-लिबासी है बड़ी चीज़ मगर क्या कीजे

जिसे अंजाम तुम समझती हो

हुस्न-ए-बहार मुझ को मुकम्मल नहीं लगा

इक दास्तान अब भी सुनाते हैं फ़र्श ओ बाम

दो ही चीज़ें इस धरती में देखने वाली हैं

दश्त छोड़ा तो क्या मिला 'सरवत'

बुझी रूह की प्यास लेकिन सख़ी

बहुत मुसिर थे ख़ुदायान-ए-साबित-ओ-सय्यार

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