आते जाते मौसमों का सिलसिला बाक़ी रहे

आते जाते मौसमों का सिलसिला बाक़ी रहे

रोज़ हम मिलते रहें और फ़ासला बाक़ी रहे

खा गईं दरिया की मौजें ख़्वाब-आवर गोलियाँ

बादबानी के लिए पागल हवा बाक़ी रहे

कल कोई बूढ़ा मुसव्विर मुझ से मिलने आएगा

ऐ मिरे मुंसिफ़ मिरी थोड़ी सज़ा बाक़ी रहे

शायरी करते रहो लेकिन रहे इतना ख़याल

दुश्मनों से दोस्ती का हौसला बाक़ी रहे

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In Hindi By Famous Poet Sarvar Usmani. is written by Sarvar Usmani. Complete Poem in Hindi by Sarvar Usmani. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.