तेरे जौबन के मौसम में
ओ मटियाली!
तेरे जिस्म की सोंधी ख़ुशबू
रोएँ रोएँ में साँवली रुत बेदार करे
दिल की ओर से गहरी घोर घटाएँ उमडें
और मेरे ये प्यासे होंट
तेरे सीने के प्यालों में
तैरते अंगूरों के रस के लम्स में भीगें
तेरी हरी-भरी साँसों की मुश्क निचोड़ें
ओ मटियाली
तेरे जौबन के मौसम में
दिल के अंदर ग़ैबी सूरज के गुल-रंग अजाइब जागें
पंज पोरों पर पाँच हिसों के फूल खिलीं
और तू हौले हौले अपने
प्यार-भरे होंटों से मेरा
शहद कशीद करे
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