Ghazals of Sarmad Sahbai
नाम | सरमद सहबाई |
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अंग्रेज़ी नाम | Sarmad Sahbai |
जन्म की तारीख | 1945 |
जन्म स्थान | Lahore |
सर झुका लेता था पहले जिस को अक्सर देख कर
रौशनी रंगों में सिमटा हुआ धोका ही न हो
नींद से जागी हुई आँखों को अंधा कर दिया
मरने का पता दे मिरे जीने का पता दे
किस शख़्स की तलाश में सर फोड़ती रही
कौन है किस ने पुकारा है सदा कैसे हुई
दश्त में है एक नक़्श-ए-रहगुज़र सब से अलग
बे-दिली में भी दिल बड़ा रखना