सरमद सहबाई कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सरमद सहबाई
नाम | सरमद सहबाई |
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अंग्रेज़ी नाम | Sarmad Sahbai |
जन्म की तारीख | 1945 |
जन्म स्थान | Lahore |
उस के मिलने पे भी महसूस हुआ है 'सरमद'
उस के जाने का यक़ीं तो है मगर उलझन में हूँ
सब की अपनी मंज़िलें थीं सब के अपने रास्ते
तेरे जौबन के मौसम में
सुर्ख़ अनारों के मौसम में
पल भर का बहिश्त
नज़्म
मेरी तारीख़ का लुंडा बाज़ार
महबूबा के लिए आख़िरी नज़्म
इस्तिआरे ढूँडता रहता हूँ
हाँ मेरी महबूबा
हमारे लिए सुब्ह के होंट पर बद-दुआ' है
एक वजूदी दोस्त के नाम
ढोल का पोल
सर झुका लेता था पहले जिस को अक्सर देख कर
रौशनी रंगों में सिमटा हुआ धोका ही न हो
नींद से जागी हुई आँखों को अंधा कर दिया
मरने का पता दे मिरे जीने का पता दे
किस शख़्स की तलाश में सर फोड़ती रही
कौन है किस ने पुकारा है सदा कैसे हुई
दश्त में है एक नक़्श-ए-रहगुज़र सब से अलग
बे-दिली में भी दिल बड़ा रखना