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जहाँ चौखट है वाँ ज़ीना था पहले - सरफ़राज़ ज़ाहिद कविता - Darsaal

जहाँ चौखट है वाँ ज़ीना था पहले

जहाँ चौखट है वाँ ज़ीना था पहले

मिरा मेहमान ना-बीना था पहले

मोहब्बत की मुरव्वज दास्ताँ में

कहीं मरना कहीं जीना था पहले

मैं दीवारों से भी सच बोलता था

मिरे कमरे में आईना था पहले

किसी रुख़्सार का तिल बिन चुका है

हमारे दिल में जो कीना था पहले

जिसे अब तोहफ़तन लौटा रहे हो

मिरे अज्दाद से छीना था पहले

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In Hindi By Famous Poet Sarfraz Zahid. is written by Sarfraz Zahid. Complete Poem in Hindi by Sarfraz Zahid. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.