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जब तआ'रुफ़ से बे-नियाज़ था मैं - सरफ़राज़ ज़ाहिद कविता - Darsaal

जब तआ'रुफ़ से बे-नियाज़ था मैं

जब तआ'रुफ़ से बे-नियाज़ था मैं

कोई ज़ाहिद न 'सरफ़राज़' था मैं

जब हुआ आश्कार तब जाना

अपने बारे में कोई राज़ था मैं

अब तो साँसों में भी नहीं तरतीब

पहले वक़्तों में नय-नवाज़ था मैं

ऐ मिरी इंतिहा-ए-बर्बादी

किस क़दर मुब्तला-ए-नाज़ था मैं

सब को क़ुदरत थी ख़ुश-कलामी पर

ख़ामुशी में ज़बाँ-दराज़ था मैं

भूल जाता है अब दुआओं में

पहले जिस के लिए नमाज़ था मैं

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In Hindi By Famous Poet Sarfraz Zahid. is written by Sarfraz Zahid. Complete Poem in Hindi by Sarfraz Zahid. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.