उसी से पूछो उसे नींद क्यूँ नहीं आती
ये उस का काम नहीं है तो मेरा काम है क्या
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तेरे होने से भी अब कुछ नहीं होने वाला
मैं अपने-आप से आगे निकल गया हूँ बहुत
ख़्वाब मैले हो गए थे उन को धोना चाहिए था
वो मुज़्तरिब था बहुत मुझ को दरमियाँ कर के
किसी ने जाँ ही लुटा दी वफ़ाओं की ख़ातिर
मिरे मरने का ग़म तो बे-सबब होगा कि अब के बार
अपने ही साए से हर गाम लरज़ जाता हूँ
लम्बी है बहुत आज की शब जागने वालो
तो देखें और किसी को जो वो नहीं मौजूद
पानियों में खेल कुछ ऐसा भी होना चाहिए था
इक तू ने ही नहीं की जुनूँ की दुकान बंद
एक दिन उस की निगाहों से भी गिर जाएँगे