तिरी दुआएँ भी शामिल हैं कोशिशों में मिरी
मुसीबतों का न टलना अजीब लगता है
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बादा-ओ-जाम के रहे ही नहीं
तुम थे तो हर इक दर्द तुम्हीं से था इबारत
इक तू ने ही नहीं की जुनूँ की दुकान बंद
आँख ही आँख थी मंज़र भी नहीं था कोई
तमाम उम्र ब-क़ैद-ए-सफ़र रहा हूँ मैं
जो तुम कहते हो मुझ से पहले तुम आए थे महफ़िल में
ख़्वाब मैले हो गए थे उन को धोना चाहिए था
आँखों ने बनाई थी कोई ख़्वाब की तस्वीर
सहरा कोई बस्ती कोई दरिया है कि तुम हो
मौसम कोई भी हो पे बदलता नहीं हूँ मैं
मिलते हो तो अब तुम भी बहुत रहते हो ख़ामोश
मिरे मरने का ग़म तो बे-सबब होगा कि अब के बार