लम्बी है बहुत आज की शब जागने वालो
और याद मुझे कोई कहानी भी नहीं है
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Gulzar
Wasi Shah
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(452) Peoples Rate This
ताबिश-ए-गेसू-ए-ख़मदार लिए फिरता है
जो तुम कहते हो मुझ से पहले तुम आए थे महफ़िल में
किसी ने जाँ ही लुटा दी वफ़ाओं की ख़ातिर
उसी से पूछो उसे नींद क्यूँ नहीं आती
अपनी सूरत को बदलना ही नहीं चाहता मैं
अब जिस्म के अंदर से आवाज़ नहीं आती
हम किसी और वक़्त के हैं असीर
दिल जो टूटा है तो फिर याद नहीं है कोई
तो देखें और किसी को जो वो नहीं मौजूद
वो चेहरा मुझे साफ़ दिखाई नहीं देता
मिरे मरने का ग़म तो बे-सबब होगा कि अब के बार