इस से पहले कि सर उतर जाएँ
इस से पहले कि सर उतर जाएँ
हम उदासी में रंग भर जाएँ
ज़ख़्म मुरझा रहे हैं रिश्तों के
अब उठें दोस्तों के घर जाएँ
ग़म का सूरज तो डूबता ही नहीं
धूप ही धूप है किधर जाएँ
अपना एहसास बन गया दुश्मन
जब भी चाहा कि ज़ख़्म भर जाएँ
वार चारों तरफ़ से हैं हम पर
शायद इस मारके में सर जाएँ
सामना दुश्मनों से हो जब भी
आप हँसते हुए गुज़र जाएँ
कोई सूरत निकालिए 'दानिश'
बस्तियाँ ख़ुशबुओं से भर जाएँ
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