मुन्ने पर है इतना बोझ किताबों का
बेचारे को चलने में दुश्वारी है
उस का बस्ता देख के ऐसे लगता है
पी.एच.डी से आगे की तय्यारी है
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
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स्पैशलिस्ट पेन-किलर दे तो कौन सा?
'शाहिद'-साहिब कहलाते हैं मिस्टर भी मौलाना भी
इस दौर के मर्दों की जो की शक्ल-शुमारी
ऐसे लगे है नौकरी माल-ए-हराम के बग़ैर
इस्लामाबाद
लबों में आ के क़ुल्फ़ी हो गए अशआर सर्दी में
चेहरे चाँद सितारों वाले हेरा-फेरी करते हैं
ख़बर है मेरी रुस्वाई की
पागल लड़की
मोटर-रिक्शा
ईद पर मसरूर हैं दोनों मियाँ बीवी बहुत