सुरूर-ए-जाँ-फ़ज़ा देती है आग़ोश-ए-वतन सब को
कि जैसे भी हों बच्चे माँ को प्यारे एक जैसे हैं
Parveen Shakir
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
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ईद पर मसरूर हैं दोनों मियाँ बीवी बहुत
डॉज-महल
कोई ख़ुश-ज़ौक़ ही 'शाहिद' ये नुक्ता जान सकता है
सेंट की कजले की और ग़ाज़े की गुल-कारी के ब'अद
गिरानी का असर
लबों में आ के क़ुल्फ़ी हो गए अशआर सर्दी में
जहाँ सुल्ताना पढ़ती थी
क़ाबिज़ रहा है दिल पे जो सुल्तान की तरह
इश्क़ में कुछ इस सबब से भी है आसानी मुझे
इस दौर के मर्दों की जो की शक्ल-शुमारी
कुछ मह-जबीं लिबास के फैशन की दौड़ में