सारे शिकवे दूर हो जाएँ जो क़ुदरत सौंप दे
मेरी दानाई तुझे और तेरी नादानी मुझे
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ऐसे लगे है नौकरी माल-ए-हराम के बग़ैर
कोई ख़ुश-ज़ौक़ ही 'शाहिद' ये नुक्ता जान सकता है
चेहरे चाँद सितारों वाले हेरा-फेरी करते हैं
डिश-ऐन्टेना
दफ़्तर-ए-शादी का मुन्तज़िम
माडर्न हीरें तो ज़र-दारों के हाँ रह जाएँगी
ख़बर है मेरी रुस्वाई की
अवामुन्नास को ऐसे दबोचा है गिरानी ने
इस दौर के मर्दों की जो की शक्ल-शुमारी
इस्लामाबाद
डॉज-महल