राज़-ओ-नियाज़ में भी अकड़-फ़ूँ नहीं गई
वो ख़त भी लिख रहा है तो चालान की तरह
Ahmad Faraz
Gulzar
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Habib Jalib
Anwar Masood
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
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हम ने तो उन्हें जामिआ से नक़्द ख़रीदा
माडर्न हीरें तो ज़र-दारों के हाँ रह जाएँगी
कोई ख़ुश-ज़ौक़ ही 'शाहिद' ये नुक्ता जान सकता है
सुरूर-ए-जाँ-फ़ज़ा देती है आग़ोश-ए-वतन सब को
फ़क़त रंग ही उन का काला नहीं है
दफ़्तर-ए-शादी का मुन्तज़िम
इश्क़ में कुछ इस सबब से भी है आसानी मुझे
वही मक़्बूल लीडर और डिप्लोमैट होता है
बढ़ती रही हर साल जो तादाद हमारी
जदीद-तरीन आदमी-नामा
कुछ मह-जबीं लिबास के फैशन की दौड़ में
लबों में आ के क़ुल्फ़ी हो गए अशआर सर्दी में