मुर्ग़ पर फ़ौरन झपट दावत में वर्ना ब'अद में
शोरबा और गर्दनों की हड्डियाँ रह जाएँगी
Anwar Masood
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
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Javed Akhtar
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Gulzar
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
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सेंट की कजले की और ग़ाज़े की गुल-कारी के ब'अद
लबों में आ के क़ुल्फ़ी हो गए अशआर सर्दी में
गिरानी का असर
जश्न-ए-आज़ादी
सारे शिकवे दूर हो जाएँ जो क़ुदरत सौंप दे
सुरूर-ए-जाँ-फ़ज़ा देती है आग़ोश-ए-वतन सब को
बढ़ती रही हर साल जो तादाद हमारी
दफ़्तर-ए-शादी का मुन्तज़िम
स्पैशलिस्ट पेन-किलर दे तो कौन सा?
हम ने तो उन्हें जामिआ से नक़्द ख़रीदा
कोई ख़ुश-ज़ौक़ ही 'शाहिद' ये नुक्ता जान सकता है
पागल लड़की