इस दौर के मर्दों की जो की शक्ल-शुमारी
साबित हुआ दुनिया में ख़्वातीन बहुत हैं
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Habib Jalib
Rahat Indori
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Parveen Shakir
Gulzar
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जहाँ सुल्ताना पढ़ती थी
ईद पर मसरूर हैं दोनों मियाँ बीवी बहुत
सारे शिकवे दूर हो जाएँ जो क़ुदरत सौंप दे
माडर्न हीरें तो ज़र-दारों के हाँ रह जाएँगी
सुरूर-ए-जाँ-फ़ज़ा देती है आग़ोश-ए-वतन सब को
फ़क़त रंग ही उन का काला नहीं है
क्रिकेटर से मुकालिमा
कुछ मह-जबीं लिबास के फैशन की दौड़ में
क़ाबिज़ रहा है दिल पे जो सुल्तान की तरह
दफ़्तर-ए-शादी का मुन्तज़िम
ख़बर है मेरी रुस्वाई की
गिरानी का असर