ईद पर मसरूर हैं दोनों मियाँ बीवी बहुत
इक ख़रीदारी से पहले इक ख़रीदारी के ब'अद
Habib Jalib
Javed Akhtar
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Gulzar
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Jaun Eliya
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राज़-ओ-नियाज़ में भी अकड़-फ़ूँ नहीं गई
क्रिकेटर से मुकालिमा
डॉज-महल
बजट की कई सख़्तियाँ और भी हैं
फ़क़त रंग ही उन का काला नहीं है
ऐसे लगे है नौकरी माल-ए-हराम के बग़ैर
मोटर-रिक्शा
इश्क़ में कुछ इस सबब से भी है आसानी मुझे
जदीद-तरीन आदमी-नामा
सुरूर-ए-जाँ-फ़ज़ा देती है आग़ोश-ए-वतन सब को
कुछ लोग रब्त-ए-ख़ास से आगे निकल गए