बजट की कई सख़्तियाँ और भी हैं
''अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं''
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
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पागल लड़की
कुछ लोग रब्त-ए-ख़ास से आगे निकल गए
कोई ख़ुश-ज़ौक़ ही 'शाहिद' ये नुक्ता जान सकता है
क्रिकेटर से मुकालिमा
दफ़्तर-ए-शादी का मुन्तज़िम
मुर्ग़ पर फ़ौरन झपट दावत में वर्ना ब'अद में
माडर्न हीरें तो ज़र-दारों के हाँ रह जाएँगी
'शाहिद'-साहिब कहलाते हैं मिस्टर भी मौलाना भी
अवामुन्नास को ऐसे दबोचा है गिरानी ने
गिरानी का असर
चेहरे चाँद सितारों वाले हेरा-फेरी करते हैं