ऐसे लगे है नौकरी माल-ए-हराम के बग़ैर
जैसे हो 'दाग़' की ग़ज़ल बादा ओ जाम के बग़ैर
Gulzar
Rahat Indori
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Habib Jalib
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(623) Peoples Rate This
अवामुन्नास को ऐसे दबोचा है गिरानी ने
वही मक़्बूल लीडर और डिप्लोमैट होता है
क्रिकेटर से मुकालिमा
राज़-ओ-नियाज़ में भी अकड़-फ़ूँ नहीं गई
पागल लड़की
सुरूर-ए-जाँ-फ़ज़ा देती है आग़ोश-ए-वतन सब को
'शाहिद'-साहिब कहलाते हैं मिस्टर भी मौलाना भी
जहाँ सुल्ताना पढ़ती थी
इस्लामाबाद
लबों में आ के क़ुल्फ़ी हो गए अशआर सर्दी में
माडर्न हीरें तो ज़र-दारों के हाँ रह जाएँगी
कोई ख़ुश-ज़ौक़ ही 'शाहिद' ये नुक्ता जान सकता है