शादी के जो अफ़्साने हैं रंगीन बहुत हैं
शादी के जो अफ़्साने हैं रंगीन बहुत हैं
लेकिन जो हक़ाएक़ हैं वो संगीन बहुत हैं
इबलीस बिचारे ही को बे-कार न कोसो
इंसान के अंदर भी शयातीन बहुत हैं
बख़्शीश की सूरत उन्हें देते रहो रिश्वत
सरकार के दफ़्तर में मसाकीन बहुत हैं
इस दौर के मर्दों की जो की शक्ल-शुमारी
साबित हुआ दुनिया में ख़्वातीन बहुत हैं
जब हज़रत-ए-नासेह ने किया मुर्ग़ तनावुल
फ़रमाया कि दालों में प्रोटीन बहुत हैं
महसूस हुआ सुन के तक़ारीर-ए-मुग़ल्लज़
अब अहल-ए-सियासत में भी चिर्कीन बहुत हैं
तनख़्वाह का हो जाएगा पल भर में कबाड़ा
बेगम तिरी फ़रमाइशें दो तीन बहुत हैं
ख़दशा है कि उस शोख़ का बढ़ जाए न बी-पी
'शाहिद' तिरे अशआर जो नमकीन बहुत हैं
(521) Peoples Rate This