सरफ़राज़ शाहिद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सरफ़राज़ शाहिद
नाम | सरफ़राज़ शाहिद |
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अंग्रेज़ी नाम | Sarfaraz Shahid |
नहले पे दहला
मुन्ने का बस्ता
इस्लामाबाद
गिरानी का असर
डिश-ऐन्टेना
क्रिकेटर से मुकालिमा
सुरूर-ए-जाँ-फ़ज़ा देती है आग़ोश-ए-वतन सब को
स्पैशलिस्ट पेन-किलर दे तो कौन सा?
'शाहिद'-साहिब कहलाते हैं मिस्टर भी मौलाना भी
सारे शिकवे दूर हो जाएँ जो क़ुदरत सौंप दे
राज़-ओ-नियाज़ में भी अकड़-फ़ूँ नहीं गई
मुर्ग़ पर फ़ौरन झपट दावत में वर्ना ब'अद में
लबों में आ के क़ुल्फ़ी हो गए अशआर सर्दी में
कुछ मह-जबीं लिबास के फैशन की दौड़ में
कोई ख़ुश-ज़ौक़ ही 'शाहिद' ये नुक्ता जान सकता है
इस दौर के मर्दों की जो की शक्ल-शुमारी
ईद पर मसरूर हैं दोनों मियाँ बीवी बहुत
हम ने तो उन्हें जामिआ से नक़्द ख़रीदा
फ़क़त रंग ही उन का काला नहीं है
बजट की कई सख़्तियाँ और भी हैं
अवामुन्नास को ऐसे दबोचा है गिरानी ने
ऐसे लगे है नौकरी माल-ए-हराम के बग़ैर
पागल लड़की
मोटर-रिक्शा
ख़बर है मेरी रुस्वाई की
जश्न-ए-आज़ादी
जहाँ सुल्ताना पढ़ती थी
जदीद-तरीन आदमी-नामा
डॉज-महल
दफ़्तर-ए-शादी का मुन्तज़िम