Ghazals of Sardar Saleem
नाम | सरदार सलीम |
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अंग्रेज़ी नाम | Sardar Saleem |
वहम जैसी शुकूक जैसी चीज़
मौजा-ए-रेग-ए-रवान-ए-ग़म में बह के देखना
ख़मोशी में छुपे लफ़्ज़ों के हुलिए याद आएँगे
कभी सुर्ख़ी से लिखता हूँ कभी काजल से लिखता हूँ
फ़िक्र ओ एहसास के तपते हुए मंज़र तक आ
एक ही ज़िंदा बचा है ये निराला पागल
दिन-ब-दिन सफ़्हा-ए-हस्ती से मिटा जाता हूँ
बना देगी ज़मीं को आज शायद आसमाँ बारिश
बढ़ रहे हैं शाम के मौहूम साए चल पड़ो
अजब हैं सूरत-ए-हालात अब के
आज दीवाने का ज़ौक़-ए-दीद पूरा हो गया