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दुआ कीजे वो बरगद और भी फूले-फले बरसों - सरदार पंछी कविता - Darsaal

दुआ कीजे वो बरगद और भी फूले-फले बरसों

दुआ कीजे वो बरगद और भी फूले-फले बरसों

कि जिस की छाँव में हम आप से मिलते रहे बरसों

कोई जुगनू भटकता आ गया तो आ गया वर्ना

चराग़-ए-क़ब्र बन कर हम अकेले ही जले बरसों

ये संग-ए-मील भी पहले कोई भटका मुसाफ़िर था

जिसे अपनी ही मंज़िल ढूँडने में लग गए बरसों

ये सर जो काट कर टाँगे गए हैं इन फ़सीलों पर

इसी आतिश-बयानी से रहेंगे बोलते बरसों

अजब सी मौसमी फ़ितरत है अपने देवताओं की

नहीं पहचानते वो हम जिन्हें पूजा किए बरसों

न तुम होगे न हम होंगे न अपनी महफ़िलें 'पंछी'

ख़ला में गूँजते रह जाएँगे ये क़हक़हे बरसों

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In Hindi By Famous Poet Sardar Panchhi. is written by Sardar Panchhi. Complete Poem in Hindi by Sardar Panchhi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.