जो तुम्हें याद किया करते हैं
जो तुम्हें याद किया करते हैं
आह-ओ-फ़रियाद किया करते हैं
काम उन का है शब-ओ-रोज़ यही
सितम ईजाद किया करते हैं
तेरे मय-ख़ाने को ऐ पीर-ए-मुग़ाँ
हमीं आबाद किया करते हैं
अपनी वहशत से तिरे दीवाने
दश्त आबाद किया करते हैं
जाम-ए-मय पी के शब-ए-फ़ुर्क़त में
दिल को हम शाद किया करते हैं
मसअले शैख़ के जो सुनते हैं
उम्र बरबाद किया करते हैं
'मशरिक़ी' कोई सुने या न सुने
हम तो फ़रियाद किया करते हैं
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