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मेरा शुमार कर ले अदद के बग़ैर भी - सरदार अयाग़ कविता - Darsaal

मेरा शुमार कर ले अदद के बग़ैर भी

मेरा शुमार कर ले अदद के बग़ैर भी

मैं जी रहा हूँ तेरी मदद के बग़ैर भी

आते हैं रोज़ मेरी ज़ियारत को हादसे

मैं दफ़्न हो चुका हूँ लहद के बग़ैर भी

हर-चंद शेर ओ शौक़ की बुनियाद है जुनूँ

चलता नहीं है काम ख़िरद के बग़ैर भी

आँखों को तेरी दीद मयस्सर नहीं मगर

दिल जंग कर रहा है रसद के बग़ैर भी

इक मुनफ़रिद मक़ाम की हामिल है तेरी ज़ात

तू दिल में है क़ुबूल या रद के बग़ैर भी

'सरदार-अयाग़' वक़्त-ए-सफ़र जब अज़ाँ हुई

रुकना पड़ा मुझे किसी हद के बग़ैर भी

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In Hindi By Famous Poet Sardar Ayagh. is written by Sardar Ayagh. Complete Poem in Hindi by Sardar Ayagh. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.