ये झूट है कि बिछड़ने का उस को ग़म भी नहीं
ये झूट है कि बिछड़ने का उस को ग़म भी नहीं
वो रो रहा है मगर उस की आँख नम भी नहीं
ये बात सच है कि वो ज़िंदगी नहीं मेरी
मगर वो मेरे लिए ज़िंदगी से कम भी नहीं
तुझे पता ही नहीं मेरी राह कैसी है
तू चल सकेगा मिरे साथ दो क़दम भी नहीं
ये क्या कि लगता है अब सब को ख़ाली ख़ाली सा
मिरे अलावा कोई चीज़ घर में कम भी नहीं
मैं तुझ से झुक के मिला हूँ मगर ये ध्यान रहे
बड़ा नहीं हूँ मगर तुझ से क़द में कम भी नहीं
शनाख़्त उस की अलग है मिरा वजूद अलग
जुदा भी मुझ से नहीं है वो मुझ में ज़म भी नहीं
(999) Peoples Rate This