सितमगर तुझ से हम कब शिकवा-ए-बेदाद करते हैं

सितमगर तुझ से हम कब शिकवा-ए-बेदाद करते हैं

हमें फ़रियाद की आदत है हम फ़रियाद करते हैं

मताअ-ए-ज़िंदगानी और भी बर्बाद करते हैं

हम इस सूरत से तस्कीन-ए-दिल-ए-नाशाद करते हैं

हवाओ एक पल के वास्ते लिल्लाह रुक जाओ

वो मेरी अर्ज़ पर धीमे से कुछ इरशाद करते हैं

न जाने क्यूँ ये दुनिया चैन से जीने नहीं देती

कोई पूछे हम इस पर कौन सी बे-दाद करते हैं

नज़र आता है उन में बेशतर इक नर्म-ओ-नाज़ुक दिल

मसाइब के लिए सीने को जो फ़ौलाद करते हैं

ख़ुदा की मस्लहत कुछ इस में होगी वर्ना बेहिस बुत

किसे शादाँ बनाते हैं किसे नाशाद करते हैं

नहीं देखा कहीं जो माजरा-ए-इश्क़ में देखा

कि अहल-ए-दर्द चुप हैं चारा-गर फ़रियाद करते हैं

असीर-ए-दाइमी गर दिल न हो तो और क्या हो जब

कहीं वो मुस्कुरा कर जा तुझे आज़ाद करते हैं

किया होगा कभी आदम को सज्दा कहने सुनने से

फ़रिश्ते अब कहाँ परवा-ए-आदम-ज़ाद करते हैं

हमें ऐ दोस्तो चुप-चाप मर जाना भी आता है

तड़प कर इक ज़रा दिल-जूई-ए-सय्याद करते हैं

बहुत सादा सा है ऐ 'कैफ़' अपने ग़म का अफ़्साना

वो हम को भूल बैठे हैं जिन्हें हम याद करते हैं

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In Hindi By Famous Poet Saraswati Saran Kaif. is written by Saraswati Saran Kaif. Complete Poem in Hindi by Saraswati Saran Kaif. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.