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मैं नहीं कहता कि दुनिया को बदल कर राह चल - साक़िब लखनवी कविता - Darsaal

मैं नहीं कहता कि दुनिया को बदल कर राह चल

मैं नहीं कहता कि दुनिया को बदल कर राह चल

ख़ार हैं पैराहन-ए-गुल में सँभल कर राह चल

दूर है मुल्क-ए-अदम और तुझ में दम बाक़ी नहीं

हो सके तो बस यूँही करवट बदल कर राह चल

तालिब-ए-मंज़िल है फिर उज़्लत-नशीनी किस लिए

रह-रवों को देख ले घर से निकल कर राह चल

कू-ए-जानाँ में ज़माना हो गया रोते हुए

ता-कुजा दिल का तअस्सुफ़ हाथ मल कर राह चल

यूँ रसाई ता-सहर मुमकिन नहीं ऐ दिल मगर

शम्अ की सूरत शब-ए-ग़म में पिघल कर राह चल

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In Hindi By Famous Poet Saqib Lakhnavi. is written by Saqib Lakhnavi. Complete Poem in Hindi by Saqib Lakhnavi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.