वो मिरी रूह की उलझन का सबब जानता है
जिस्म की प्यास बुझाने पे भी राज़ी निकला
Anwar Masood
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Wasi Shah
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Love Poetry
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Sad Poetry
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Sharabi Poetry
Friends Poetry
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मैं किसी जवाज़ के हिसार में न था
मैं अपनी आँखों से अपना ज़वाल देखता हूँ
मैं ने चाहा था कि अश्कों का तमाशा देखूँ
डस्टबिन
तुम और किसी के हो तो हम और किसी के
सब कुछ न कहीं सोग मनाने में चला जाए
मैं खिल नहीं सका कि मुझे नम नहीं मिला
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शेर-इमदाद-अली का मेडक
हम-ज़ाद
मुद्दत हुई इक शख़्स ने दिल तोड़ दिया था
मरता लम्हा