वो ख़ुदा है तो मिरी रूह में इक़रार करे
क्यूँ परेशान करे दूर का बसने वाला
Javed Akhtar
Rahat Indori
Habib Jalib
Wasi Shah
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Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
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इक याद की मौजूदगी सह भी नहीं सकते
क़त्ल करने का इरादा है मगर सोचता हूँ
मरता लम्हा
सोच में डूबा हुआ हूँ अक्स अपना देख कर
घर
ख़ाली बोरे में ज़ख़्मी बिल्ला
रात नादीदा बलाओं के असर में हम थे
दिल ही अय्यार है बे-वज्ह धड़क उठता है
ज़िंदा पानी सच्चा
डस्टबिन
ज़िंदा रहने के तज़्किरे हैं बहुत
जिस की हवस के वास्ते दुनिया हुई अज़ीज़