वही जीने की आज़ादी वही मरने की जल्दी है
दिवाली देख ली हम ने दसहरे कर लिए हम ने
Wasi Shah
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Gulzar
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(523) Peoples Rate This
हमल-सरा
उम्र इंकार की दीवार से सर फोड़ती है
मुहासरा
मुझे ख़बर थी मिरा इंतिज़ार घर में रहा
वो लोग जो ज़िंदा हैं वो मर जाएँगे इक दिन
मैं उन से भी मिला करता हूँ जिन से दिल नहीं मिलता
अजब कि सब्र की मीआद बढ़ती जाती है
मेरी अय्यार निगाहों से वफ़ा माँगता है
मैं किसी जवाज़ के हिसार में न था
नामों का इक हुजूम सही मेरे आस-पास
ख़ुदा के वास्ते मौक़ा न दे शिकायत का
मुहासबा